
मानव शरीर में पहले से मौजूद चिकनपोक्स वायरस (Herpes Zoster) के पुनः सक्रिय होने के कारण शिंगल्स (Shingles) होता है, जो कि एक वायरल संक्रमण है। यह प्राय वृद्ध लोगो को होता है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) घट जाती है, शिंगल्स के लक्षण ज्यादातर शरीर के एक ही हिस्से में नजर आते है जैसेः-
- शरीर के उस हिस्से में तेज दर्द का होना।
- शरीर के उस हिस्से की त्वचा में रैश, फफूलें व दाने होना।
- बुखार व सिर दर्द का होना।
- शरीर के उस प्रभावित हिस्से में बिजली के झटको के साथ नशों में झुनझनाहट होना एवं हर कुछ अंतराल पर तीव्र दर्द का होना आदि इसके प्रमुख लक्षण है।
शिंगल्स के लक्षणों को नजरअन्दाज नहीं किया जाना चाहियें, शिंगल्स होने की सम्भावना डाईबटीज, एच0आई0वी0, कैन्सर और किडनी या लीवर ट्रान्सप्लान्ट करवा चुके लोगो में ज्यादा होती है।
शिंगल्स जो कि एक वायरल संक्रमण है का उपचार समय से किया जाना अत्यन्त आवश्यक है इस का उपचार डॉक्टर की सलह पर एंटीवायरल दवाईयों, दर्द निवारक दवाईयों, प्रभावित त्वचा में डॉक्टर द्वारा दी गयी सलह के अनुसार क्रीम का प्रयोग
करने से किया जाता है, शिंगल्स में प्रभावित त्वचा को ठंडा रखना भी जरूरी है।
शिंगल्स के रोकथाम के लिये 50 वर्ष से अधीक उम्र वाले लोगो को वैक्सीनेशन लगानी चाहिये एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना चाहिये, सही समय पर उपचार से और वेक्सीनेशन से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। यदि आपको भी कभी उपर दिये गये लक्षण का पता चले तो तुरन्त डाक्टर से सम्पर्क करते हुये समय से उपचार करना आवश्यक है।
क्योंकि शिंगल्स के कई मामलों में प्रायः यह देखा जाता है कि बिमारी के उपचार के बाद भी प्रभावित हिस्से में दर्द एवं नशों में झुनझनाहट होती रहती है जिस हेतु कई मरीजों को लम्बे समय तक दवाओं पर निर्भर रहना पड़ता है।